Sad Shayari, Dard Shayari, Rude shayari, hindi shayari

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बे नाम सा ये दर्द ठहर क्युँ नहीं जाता

जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता

सब कुछ तो है, क्या ढूढ़ती रहती है निगाहें 

क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्युँ नहीं जाता.


Be naam sa ye dard Thahar kyu nahi jaata

Jo bit gaya hai wo guzar kyu nahi jaata

Sab kuch to hai, kya dhudti rahti hai nigahen

Kya baat hai main waqt pe ghar kyu nahi jaata






दुश्मनो से मोहब्बत होने लगी है मुझे

जैसे जैसे दोस्तों को आजमाता जा रहा हूँ .


Dushmano se mohabbat hone lagi hai mujhe

Jaise jaise dushmano ko ajmata ja raha hoon.






हर तरह हर जगह बेशुमार आदमी

फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ

अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी


Har tarah har jagah beshumar aadmi

Fir bhi tanhaiyo ka shikar aadmi

Subah se sham tak bojh dhota hua

Apni hi laash ka khud mazar aadmi






सफर में धुप तो होगी चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो


Safar mein dhoop to hogi chal sako to chalo

Sabhi hain bhid mein tum bhi nikal sako to chalo

Yahan kisi ko koi rasta nahi deta

Mujhe gira ke agar tum sambhal sako to chalo






कहीं कहीं से हर चेहरा तुम्हारे जैसा लगता है

तुमको भूल न पाएंगे हम, ऐसा लगता है

तुम क्या बिछड़े भूल गए रिश्तों की शराफत हम

जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है.


Kahin kahin se har chehra tumhare jaisa lagta hai

Tumko bhul na payenge, aisa lagta hai

Tum kya bhichde bhul gaye rishton ki sharafat hum

Jo bhi milta hai kuch din hi achcha lagta hai.





महीनो बाद दफ्तर आ रहे हैं

हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं 

तेरी बाँहों से दिल उकता गया है 

अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं 

कहाँ सोया है चौकीदार मेरा 

ये कैसे कैसे लोग अंदर आ रहे हैं 

समंदर कर चूका तस्लीम हमको 

ख़ज़ाने खुद ही ऊपर आ रहे हैं 

यही एक दिन बचा था देखने को 

उसे बस में बैठा कर घर आ रहे हैं 


By Tehzeeb Hafi






बे वजह घर से निकलने की क्या जरुरत है,

और मौत से ऑंखें मिलाने की क्या जरुरत है,

ज़िन्दगी नेमत है उसे संभल के रख,

यूँ कब्रिस्तान सजाने की क्या जरुरत है,

सबको मालूम है बहार की हवा कातिल है,

फिर कातिल से उलझने की क्या जरुरत है,

दिल को बहलाने को घर में ही मज़ा काफी है,

यूँ ही गलियों में भटकने की जरुरत क्या है. 




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(Morning Thought !  Sad Shayari Mahadev Shayari ! Love Shayari)

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